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नारी को नारी ही रहने दो

Wednesday, March 8, 2017 | 6:08:00 PM

मुझे चाहत नहीं,मैं देवी बनूं;
शक्ति का पर्याय कहलाऊँ,
करुणा की वेदी बनूं।
चाह मुझे बस इतनी
      कि मैं इन्सान रहूँ,
खुलकर साँस लूँ,
      अविरल धारा सी बहूँ,
खुले आसमान में
        पंख फैलाकर उड़ूँ,
सपने देखूँ,
            उसे पूरा करूँ ।
अपने प्रेम को हँसता देखूँ,
अपनी ममता को फलता देखूँ,
तुम बस हमारी खुशियाँ,

हर पल चाहतों में
  हमारी पलने दो,
देवी नहीं, नारी हूँ मैं,
  मुझे नारी ही रहने दो ।

देवी का दर्जा दिया पर,
तुमने बस लूटा मुझको,
  कुछ कहा नहीं,
            ना दिखा सकी,
  दिल अपना टूटा सबको,
  कभी सीता, कभी द्रौपदी बनी
  फिर निर्भया बन बलि चढ़ी;
  तुमने मुझको दगा दिया,
  मैंने दिया संसार तुम्हें;
  जन्म दिया मैंने तुमको,
  तुमने दिया बाजार मुझे।

बहुत सुन ली झूठी तसल्ली,
अब खोखली बातें बंद करो,
        जीवन मेरा मुझे जीने दो,
        दिल के जख्म गहरे हैं,
          उन्हें अब मुझे सीने दो ।
  व्यथित हूँ तुम्हारे व्यवहार से;
    जलती रही हूँ,
                  तानों के अंगार से;
    मुझे अब व्यथा ,
                  अपनी सारी कहने दो;
    देवी नहीं, नारी हूँ मैं,
      मुझे बस नारी ही रहने दो ।
                    अर्चना अनुप्रिया ।       

Posted By Archana Anupriya

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